चरण शरण देकर अम्ब मूरख का भव ताप हरो अंतस का तम हर कर आशा उर संचार करो शुभ्र रूप हंसासन शोभित जननी वेदमयी या देवी कमलासना वीणा की झंकार करो ©अजय कुमार चौधरी Lucknow (India)
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